अपनी ताज़ातरीन फिल्म “माँ” में पुरोहिता की भूमिका से चर्चित अभिनेत्री, रंगकर्मी तथा मैथिली और हिंदी की साहित्यकार, अनुवादक और नाट्य-लेखक विभा रानी को “स्पंदन ललित कला सम्मान, 2025” से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान उन्हें उनके नाटकों और फिल्मों में उत्कृष्ट अभिनय के लिए प्रदान किया जाएगा।

27 जून, 2025 को देशभर के थिएटरों में रिलीज़ देवगन फिल्म्स की काजोल स्टारर फिल्म “माँ” में विभा रानी की पुरोहिता की प्रभावशाली भूमिका ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान दिलाई है। अब यह फ़िल्म नेटफ्लिक्स पर भी उपलब्ध है, जहाँ इसे देश-विदेश के दर्शक देख रहे हैं। अंग्रेज़ी सबटाइटल्स के कारण विदेशी दर्शकों तक भी यह फ़िल्म पहुँची है, और विभा रानी को प्रशंसा व सराहना के असंख्य संदेश मिल रहे हैं।

विभा रानी कहती हैं-“सच पूछिए तो फिल्मों में काम करना, और खासकर माँ फिल्म में काजोल जैसी सुपरस्टार के साथ अभिनय करना, मेरे लिए बचपन के स्वप्न के साकार होने जैसा अनुभव रहा।”

विभा रानी की फ़िल्मी यात्रा वर्ष 2018 में नवदीप सिंह निर्देशित फिल्म “लाल कप्तान” से शुरू हुई, जिसमें उन्होंने ‘लाल परी’ का किरदार निभाया था। इसके बाद उन्होंने शमशेरा, अनवांटेड, ए ब्रोकन स्टोरी, सजनी शिंदे का वायरल वीडियो, मॉनसून फुटबॉल, भोर, वेब सीरीज़ महारानी 1, ताज 2, ताज़ा खबर (1 और 2), तथा धारावाहिक अवंतिका, एकलव्य, टिकुली आदि में यादगार भूमिकाएँ निभाईं।

इसके पहले उन्होंने ‘फिल्म्स डिविज़न’ के लिए भारतेंदु हरिश्चंद्र और जयशंकर प्रसाद पर दो फ़िल्में लिखीं।सीमा कपूर के मेगा सीरियल ‘अवंतिका’ के चालीस से अधिक एपिसोड्स के लिए संवाद लेखन किया। नितिन चंद्रा की राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फ़िल्म ‘मिथिला मखान’ के लिए दो गीत लिखे तथा कामाख्या नारायण सिंह की बहु-पुरस्कृत फ़िल्म ‘भोर’ में वोकल दिया। साथ ही ‘पाथेर पांचाली’ की मैथिली डबिंग में “बुआ” के किरदार की आवाज़ भी दी।
वर्तमान में वे नेटफ्लिक्स और अमेज़न प्राइम जैसी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की फिल्मों व वेब सीरीज़ के लिए भी डबिंग का कार्य कर रही हैं।
विभा रानी का मानना है कि-“लेखन, अनुवाद, नाट्यलेखन, सोलो मंचन, मोटिवेशनल स्पीकिंग और POSH Enabler के रूप में सक्रिय रहते हुए भी फिल्मों में अपनी पहचान बनाना संभव है, क्योंकि लेखन से लेकर अभिनय तक हर विधा एक-दूसरे की पूरक है।”

उनके अनुसार, फ़िल्म क्षेत्र में मिला यह “स्पंदन ललित कला सम्मान 2025” इस विश्वास को और सुदृढ़ करता है कि रचनात्मकता की कोई उम्र नहीं होती; रचनारत व्यक्ति न तो बूढ़ा होता है, न ही रिटायर।
भविष्य में विभा रानी के कई नए प्रोजेक्ट्स – फिल्में, सीरीज़ और धारावाहिक – आने वाले हैं। वे कहती हैं,
“आप सबका स्नेह और सहयोग ही मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा है।”
विभा स्पष्ट करती हैं कि फिल्मों में सक्रियता का अर्थ यह नहीं कि उन्होंने साहित्य को अलविदा कह दिया है। उनके शब्दों में-“अभिनय, लेखन और प्रस्तुति – ये मेरे लिए हृदय, फेफड़े और मस्तिष्क की तरह हैं; इनके बिना अपने अस्तित्व की कल्पना भी नहीं कर सकती।”
खनकते स्वर में वे बताती हैं कि जब उर्मिला शिरीष जी का फोन उन्हें बधाई देने आया, तो उन्हें लगा कि यह बधाई उनके नाती अकीरा नूर के जन्म की खुशी में दी जा रही है, क्योंकि उस समय अकीरा उनकी गोद में था। विभा कहती हैं-“अकीरा के शरीर का स्पंदन मेरे शरीर के साथ मिल रहा था। उसी स्पंदन में उर्मिला जी के स्वर, स्नेह और उनके शब्द – ‘मुझे आपका काम हमेशा आकर्षित करता रहा है। आज इस सम्मान की घोषणा करते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है।’ मुझे और भी स्पंदित कर गए।”
विभा रानी बताती हैं कि स्पंदन संस्था की शुरुआत से ही वह उन्हें आकर्षित करती रही है “शायद इसलिए कि इसे उर्मिला जी जैसी जागरूक और संघर्षशील लेखिका ने प्रारंभकिया। मुझे लगता है कि स्त्रियों के हर रचनात्मक कार्य से उनकी सृजनात्मकताऔर भी ऊर्जस्वित होती है।”

भोपाल से घोषित इस सम्मान को लेकर वे भावुक होकर कहती हैं-
“भोपाल मेरा प्रिय स्थल रहा है। यहाँ आना हमेशा अपने दूसरे घर आने जैसा लगता है। इस शहर की सजीव सांस्कृतिक हलचल और आत्मीय लोग हर बार मन को छू जाते हैं। मैंने यहाँ अपने एकल नाटक नौरंगी नटनी का मंचन भी किया है, बालेंदु सिंह ‘बालू’ के थिएटर फेस्टिवल में।”
