सी बी आई क्या न्याय दिलवा पायेगी डेल्टा को !

गुलज़ार  हुसैन 
नोट- 
(राजस्थान सरकार की ओर से दलित छात्रा डेल्टा मेघवाल हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपने के फैसले को न्याय के मार्ग की पहली सीढ़ी माना जा सकता है। न्याय पाने के लिए पूरी ताकत लगा देने वाले डेल्टा के परिजनों और अन्य न्यायप्रिय लोगों के आक्रोश का ही यह परिणाम है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को यह निर्णय करना पड़ा है। डेल्टा मेघवाल की मौत जिन परिस्थितियों में हुई है, वह गंभीर सवाल उठाती है। इसके अलावा प्रशिक्षण संस्थान के सुस्त रवैये और पुलिस की कार्रवाई में शुरुआती लापरवाही भी एक बड़े षड्यंत्र की ओर संकेत करती है। )

वह अपने गांव त्रिमोही (राजस्थान) की पहली लड़की थी, जो सेकेंडरी स्कूल पहुंची थी, लेकिन दुर्व्यवस्था ने उसकी जान ले ली. हां, डेल्टा मेघवाल न केवल होनहार छात्रा थी, बल्कि बहुमुखी प्रतिभा की धनी भी थी.  वह एक बेहतरीन चित्रकार होने के साथ-साथ अच्छी गायिका, कवयित्री, नृत्यांगना और वक्ता भी थी, लेकिन उस 17 वर्षीय लड़की की आंखों में बसने वाले हर सपने उससे छीन कर रौंद डाले गए. उस दलित लड़की के साथ रेप हुआ और फिर हत्या हुई, लेकिन उसकी खबर न तो मीडिया की सुर्खियां बनीं और न ही उसे न्याय दिलाने को लेकर तेजी से सरकारी पहल होती देखी गई। 29 मार्च को डेल्टा मेघवाल की लाश जैन आदर्श कन्या शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान, नोखा के टैंक में मिली थी, लेकिन उस समय प्रशिक्षण संस्थान के सुस्त रवैये और पुलिस की कार्रवाई में शुरुआती लापरवाही देखी गई. उसके साथ रेप क्यों और कैसे हुआ? उसे क्यों मार डाला गया? जैसे कई अनुत्तरित प्रश्न हैं, जिससे उसके रिश्तेदार लगातार जूझ रहे हैं और रोज टूट रहे हैं. क्या डेल्टा का दोष केवल यह था कि उसने एक दलित परिवार में एक ऐसे समय में जन्म लिया, जब दलित लड़कियों से रेप और हत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं? सबसे बड़ा सवाल है कि क्या यह मामला एक दलित छात्रा से जातीय घृणा करते हुए उसे ‘सॉफ्ट  टारगेट’ समझकर शिकार करने का नहीं है?



राजस्थान में बाड़मेर जिले के त्रिमोही गांव में जन्मी डेल्टा मेघवाल बचपन से ही बहुत प्रतिभाशाली थी. 2014 में उसने जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित बेसिक स्कूल टीचर कोर्स की प्रवेश परीक्षा पास कर नोखा के जैन आदर्श कन्या शिक्षक-प्रशिक्षण महाविद्यालय में दाखिला लिया था. लेकिन इस महाविद्यालय ने उसके सपनों को पंख देने की बजाय उसकी जान ले ली.  डेल्टा की हत्या से जुड़े सवाल तो कई हैं, जो हमारे सामने मुंह चिढ़ाते खड़े हैं. आखिर उसे होस्टल की वार्डन ने पीटी इंस्ट्रक्टर के रूम में सफाई करने के लिए क्यों भेजा? वह छात्रा थी, सफाईकर्मी तो नहीं थी.  आरोप है कि वहीं उसके साथ रेप हुआ, क्योंकि उसने खुद अपने पिता को फोन कर हालात असहनीय होने की बात कही थी. कल होकर उसकी लाश एक टैंक में मिली थी। इसके बाद उसे अस्पताल तक ले जाने के लिए पुलिस ने एक ट्रैक्टर का इस्तेमाल क्यों किया? आरोप है कि जब लाश पर चोट के निशान थे, तब भी इसे शुरू में पुलिस ने आत्महत्या का मामला ही क्यों बनाए रखने का प्रयास किया. इन सब तथ्यों से एक सुनियोजित षड्यंत्र का संदेह होता है. एक प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थान में दलित लड़की के साथ इतनी क्रूरता कैसे की गई?



डेल्टा के पिता ने पुलिस पर भी भेदभाव करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि मेरी बेटी की लाश को पुलिस ने कचरे और मरे जानवर ढोने वाले ट्रैक्टर से अस्पताल पहुंचाया. यह सबसे अधिक चौंकाने वाला तथ्य है. इससे एक लड़की से रेप और हत्या किए जाने की घटना के बाद पुलिस की लापरवाही और भेदभाव का पता चलता है. इससे यह भी संदेह होता है कि उसके साथ जो भी हुआ, उसके लिए पहले से कोई खतरनाक प्लानिंग तो नहीं की गई थी? शिक्षक-प्रशिक्षण महाविद्यालय की लापरवाही को और कई तथ्यों की रोशनी में देखा जा सकता है. लड़कियों के होस्टल में किसी पुरुष इंस्ट्रक्टर की पहुंच या उस परिसर में क्वार्टर देना क्या दर्शाता है? इसके अलावा आरोप है कि इतनी बड़ी घटना होने के बाद उस महाविद्यालय में कोई हलचल नहीं हुई. न तो बंद रखा गया और न ही किसी शोक सभा का आयोजन किया गया. ऐसा माहौल बनाए रखा गया, जैसे इस संस्थान में किसी पंछी को चोट भी नहीं लगी हो? इसके अलावा आरोप यह भी है कि डेल्टा से कई बार साफ-सफाई और बर्तन मांजने और कपड़े  धुलवाने जैसे काम कराए जाते थे.



 आरोप यह भी है कि डेल्टा को किसी अन्य छात्राओं से मिलने देने पर पाबंदी लगाई गई थी. इन जैसे कई आरोपों और तथ्यों से यह साबित होता है कि डेल्टा की हत्या करने वालों ने जातीय वर्चस्व और साजिश को अपना हथियार बनाया है. डेल्टा के पिता महेंद्र राम मेघवाल अपनी बेटी की नृशंस हत्या पर पूरी तरह टूट कर बिखर गए थे. कभी अपनी बेटी को आईपीएस बनाने का ख्वाब देखने वाले महेंद्र ने दुखी होकर यहां तक कह दिया कि कोई अपनी बेटी को नहीं पढ़ाए. यह उनकी निराशा थी, जो बेटी के साथ हुए जुल्म और उसे न्याय दिलाने के बदले मुंह मोड़े व्यवस्था से उपजी थी. वे ही नहीं बल्कि देश में  दलित विरोधी हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने और सामाजिक न्याय के लिए लड़ने वाले हर लोग निराश थे. आरोप है कि कुछ टीवी न्यूज चैनलों और ताकतवर राजनीतिक लोगों ने तो डेल्टा के चरित्र को लेकर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए थे. यह सब असहनीय था.  एक कम उम्र की छात्रा पर इस तरह के झूठे लांछन का विरोध भी हुआ. एक छात्रा जो अपने पिता को फोन कर कहती है कि मुझे यहां से ले जाओ, मुझे यहां डर लग रहा है कि प्रशासन कोई अनहोनी न कर दे

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इसके बाद अब क्या कुछ कहना शेष रह जाता है कि उसके साथ शिक्षक-प्रशिक्षण महाविद्यालय में किस तरह का अत्याचार हो रहा था. इतनी घोर निराशा के बावजूद डेल्टा के पिता महेंद्र राम मेघवाल ने हार नहीं मानी.  वे बेटी को न्याय दिलाने के बहाने स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली हर लड़की की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की लड़ाई लगातार लड़ रहे हैं. हर तरफ से निराशा में घिरे उसके पिता के हौसले, स्थानीय और देशभर के न्यायप्रिय लोगों के जुझारूपन और सोशल मीडिया में साहसिक ढंग से आवाज उठाने वाले लोगों ने इस मुद्दे को ऊपर तक
पहुंचाया, जिसका परिणाम सकारात्मक हुआ.  पुलिस ने आरोपी टीचर और वॉर्डन को रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू की. इधर डेल्टा के परिजनों की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात के बाद डेल्टा मेघवाल से रेप और उसकी हत्या के मामले की जांच राजस्थान सरकार ने सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है. इस फैसले को न्याय पाने के मार्ग में पहली सीढ़ी माना जा सकता है.

गुलज़ार हुसैन जितने संवेदनशील और बेहतरीन  कवि हैं उतने ही अच्छे रेखा -चित्रकार. मुम्बई में पत्रकारिता करते हैं . संपर्क: मोबाईल न. 9321031379

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